Saturday, August 9, 2008

मेरा गाँव 2

बांसों से बने कमलसागर में प्रवेश मार्ग का अन्य दृश्य

Tuesday, August 5, 2008

मेरा गाँव 1



(बांसों से बना मेरे गाँव कमलसागर में प्रवेश का लगभग ५०० मीटर लंबा सुरंगनुमा मुख्य मार्ग जो सहज ही रोमांचित कर देता है। )
कमलसागर, उत्तर -प्रदेश (भारत ) के मऊ जिले में स्थित है तथा स्वाधीनता संग्राम की विरासत और स्मृतियों को सजोये है।
पंडित रामबृक्ष चौबे , सन् १९४२के स्वंतंत्रता आन्दोलन के दौरान मधुबन थाना गोली कांड के प्रमुख नायक थे , अंग्रेज़ी हुकूमत ने इन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।स्वतंत्रता के पश्चात् आप जीवन पर्यंत जन सेवा में लगे रहे ।
कमल्सागर की पुण्य भूमि विभूति पंडित बलदेव चौबे जो गाँधी जी के स्वदेशी आन्दोलन से जुड़े और बाद में वरधा आश्रम के सुपरिन्तेंदेंट रहे । गाँधी जी द्वारा प्रदत 'स्वामी सत्यानन्द सरस्वती 'के नाम से विख्यात स्वामी जी ने बूढावर तथा दोहरीघाट में हरिजन गुरुकुल गाँधी ग्राम की स्थापना की और गाँधी जी के निर्देशानुसार जीवन पर्यंत हरिजन उद्धार में लगे रहे।
चाचा पंडित गोरख नाथ चौबे ने जाने-माने लेखक रहे। १९३० के दशक में आप अलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे .बाद में पुरुषोत्तम दास टंडन के अनुरोध पर इस पद को त्याग हीनी साहित्य सम्मलेन प्रयाग के होनरेरी रजिस्ट्रार रहे। आपने लगभग ९८ पुस्तकों का लेखन किया । गीता का अवधि में अनुवाद किया । ६० के दशक में उत्तर-प्रदेश राज्यपाल के राजनातिक सलाहकार रहे।
ब्रह्मण बहुलता वाले इस गाँव में मुख्य रूप से कुम्हार , नाइ, लोहार और कोइरी है। यादव और हरिजन जातियों के अलग -अलग टोलें हैं ।